हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
الإمامُ الصّادقُ عليه السلام ـ لَمّا سَألَهُ هِشامُ بنُ الحَكَمِ عن عِلَّةِ تَحريمِ الرِّبا
إنّهُ لَو كانَ الرِّبا حلالاً لَتَرَكَ الناسُ التِّجاراتِ وما يَحتاجونَ إلَيهِ فحَرَّمَ اللّه ُ الرِّبا لتَفِرَّ حديث الناسُ عنِ الحرامِ إلى التِّجاراتِ وإلى البَيعِ والشِّراءِ فَيَتَّصِلَ ذلكَ بَينَهُم في القَرضِ
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया:
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम से जब हिशाम बिन हक्म ने ब्याज के हराम होने की वजह पूछी तो; इमाम अलैहिस्सलाम ने उसके उत्तर में फ़रमाया: अगर ब्याज हलाल होता तो लोग बिजनेस और अपनी ज़रूरत की चीज़ों को हासिल करने के लिए काम छोड़ देते बस अल्लाह तआला ने ब्याज को हराम करार दिया ताकि लोग हराम माल खाने से हाथ रोके और खरीद और बिक्री का काम करें और एक-दूसरे को खरीद-बिक्री में उधार दें।
बिहारूल अनवार, 24/119/103